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कालेज स्टूडेंट से माफिया बना मुख्तार अंसारी, कभी UP के दो मुख्यमंत्रियों का था करीबी, जानें अपराध की दुनिया ने कैसे बना खादी धारी!



न्यूज डेस्क: एक समय था की पूर्वांचल में माफिया से नेता बने मुख्तार अंसारी का सिक्का चलता था और मुख्तार अंसारी के एक इशारे पर उसके गुर्गे किसी को भी मौत के घाट उतार देते थे,कुछ ऐसा ही हुआ 29 नंबर 2005 को जब बीजेपी विधायक कृष्ण नंद राय की गोलियों से भून कर हत्या कर दी गई, और इस हत्या कांड में नाम आया मुख्तार अंसारी का वही 90 के दशक से लेकर 2017 में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने तक माफिया का पूर्वांचल में रसूख रहा,लेकिन प्रदेश में योगी सरकार आने के बाद पूर्वांचल के इस माफिया पर शिकंजा कसना शुरू हुआ, और मुख्तार अंसारी की कुल बेनामी संपत्ति जब्त करने के लिए आयकर विभाग ने आपरेशन पैंथर चला कर 500 करोड़ से अधिक की संपत्ति जब्त की गई।वही पुलिस के मुताबिक देशभर में मुख्तार अंसारी पर करीब 61 मामले दर्ज है।


गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद में हुआ था मुख्तार अंसारी का जन्म!

दरअसल आपको बताते चले कि माफिया से नेता बने मुख्तार अंसारी का जन्म गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद में 3 जून 1963 को हुआ था, माफिया के पिता का नाम सुबहान उल्लाह अंसारी और मां का नाम बेगम राबिया था, मुख्तार अंसारी तीन भाइयों में सबसे छोटा था, और मुख्तार अंसारी की पत्नी का नाम अफशा अंसारी है,मुख्तार अंसारी के दो बेटे अब्बास अंसारी और उमर अंसारी है, वही मुख्‍तार अंसारी के दादा डॉ मुख्तार अहमद अंसारी महात्मा गांधी के करीबी हुआ करते थे, यही नहीं अपने जमाने के मशहूर सर्जन मुख्‍तार अहमद अंसारी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्‍यक्ष भी बने, मुख्तार अंसारी के नाना ब्रिगेड‍ियर उस्‍मान महावीर चक्र व‍िजेता रहे हैं, ब्रिगेड‍ियर उस्‍मान 1947 की नौशेरा की जंग में शहीद हुए थे, यही नहीं मुख्‍तार के प‍िता भी कद्दावर नेता थे, कभी अंसारी के घर पर फर‍ियाद‍ियों की भीड़ लगी रहती थी, वही यूपी के मऊ विधानसभा सीट से माफिया मुख्तार अंसारी पांच बार विधायक रहे।


पूर्वांचल के जिलों में माफिया मुख्तार का था जलवा!

आपको बताते चले की 90 वे के दशक पूर्वांचल वाराणसी, गाजीपुर, बलिया, जौनपुर, और मऊ,जिलों में माफिया मुख्तार अंसारी का रूतबा था,इन जिलों में कोई भी राजनीतिक पार्टियां अगर कदम रखती थी तो पहले अंसारी परिवार से मुलाकात करती थी, इस बात को इस लिए कहा जाता की यूपी के दो पूर्व मुख्य मंत्री मुलायम सिंह यादव और मायावती ने उसे अपने सर आंखों पर बैठाया था, और उसे गरीबों का मसीहा बताया था।


कालेज स्टूडेंट से माफिया बना मुख्तार अंसारी!


दरअसल आपको बताते चले कि 90 के दशक में पूरे पूर्वांचल में एक नए अपराध का शुरुआत हुआ और यह अपराध रेलवे का टेंडर और शराब के टेंडर को लेकर शुरू हुआ और इसमें कई अपराधियों के नाम उभर कर सामने आए इसमें पहला नाम आया पूर्वांचल के बाहुबली नेता पंडित हरिशंकर तिवारी का जिनके नाम से पूर्वांचल के बड़े बड़े माफिया कांपते थे, वही गाजीपुर के कॉलेज में पढ़ाई कर रहे हैं मुख्तार की मुलाकात एक बाहुबली मखनू सिंह से हुई, मखनूं सिंह उन दिनों हरिशंकर तिवारी का खास हुआ करता था, इसी दौरान मुख्तार अंसारी और मखनु सिंह को दोस्ती हो गई तभी किसी जमीन पर कब्जे को लेकर मखनू सिंह की त्रिभुवन सिंह के से गैंगवार शुरू हो गई, और दोनो गैंग के बीच कई लोगो की गोली लगने से मौत हो गई, और वही से इस गैंग ने अपना रुख अब जरायाम की और बढ़ा दिया, तभी इसी बीच गाजीपुर कोर्ट में मखनू सिंह के दुश्मन साहिब सिंह की हत्या कर दी गई, और इस हत्या में नाम आया माफिया मुख्तार अंसारी का वही इस हत्या कांड के बाद कालेज स्टूडेंट से मुख्तार अंसारी के नाम के साथ माफिया जुड़ गया, वही इस हत्या कांड के कुछ दिन बाद फिर पुलिस लाइन के अंदर खड़े हुए एक दीवान की हत्या हुई जिसका नाम राजेंद्र सिंह था, 


 मुख्तार अंसारी के रसूख से भाई अफजल बना पहली बार विधायक!


पूर्वांचल में माफिया के नाम से मशहूर मुख्तार अंसारी का खौफ इतना बढ़ गया था की उसके आगे कोई भी प्रत्याशी चुनाव लड़ने की जुग्गत नही करता था और यही कारण रहा की साल 1985 में माफिया मुख्तार अंसारी का बड़ा भाई अफजाल अंसारी पहली बार व‍िधानसभा चुनाव लड़ा और पहली ही बार में चुनाव जीत गया,इसके बाद अफजल अंसारी ने 1989 में भी दूसरी बार जीत हासिल की, और जीत का श्रेय मुख्तार अंसारी के नाम गया। वही साल 1996 में मऊ विधानसभा से खुद मुख्तार अंसारी चुनाव मैदान में उतर आया और पहली बार में मऊ सीट से चुनाव जीत कर अपराध की दुनिया से राजनीत में कदम रखा और लगातार मऊ विधानसभा सीट से पांच बार चुनाव जीत दर्ज की, जिसके बाद प्रदेश के दो मुख्यमंत्रियों का सबसे करीब बन गया।


चुनाव हारने के बाद कृष्णा नंद राय की हत्या कर लिया था मुख्तार अंसारी ने बदला!


दरअसल आपको बताते चले की मऊ जिले का मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट 25 सालों से मुख्तार अंसारी के परिवार में कब्जा था लेकिन इस सीट से बीजेपी ने कृष्णा नंद राय को मुख्तार अंसारी के सामने चुनाव मैदान में उतारा था,और इस सीट से कृष्णा नंद राय ने जीत हासिल की जिससे मुख्तार अंसारी का 25 सालों से बना किला ध्वस्त हो गया इस बात से खार खाया था,और मुख्तार अंसारी हार का बदला उसने बीजेपी विधायक का कत्ल ले कर किया, वही इस हत्या कांड में बीजेपी विधायक कृष्णा नंद राय पर एके 47 से 400 राउंड फायरिंग की गई थी और उनके शरीर से 65 गोलियां निकाली गई थी, वही इस हत्या कांड में नाम आया मुन्ना बजरंगी का। वही यह हत्या कांड पूरे देश में सुर्खिया बना रहा है। वही इस हत्या कांड के बाद मुख्तार अंसारी का बुरा दिन शुरू हो गया, और कृष्णानंद राय की हत्‍या मुख्‍तार अंसारी के लिए सबसे बड़ा केस बना।


अवधेश राय हत्या कांड मामले में मुख्‍तार को हुई थी आजीवन कारावास की सजा

वही आपको बताते चले की मुख्तार अंसारी 32 साल बार फिर एक बार सुर्खियों में आया और यह मामला था अवधेश राय हत्याकांड का जिसमे उसे 5 जून 2023 को कोर्ट द्वारा मुख्तार समेत अन्य को दोषी करार दिया था। मुख्तार अंसारी को इस केस में आजीवन कारावास और 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया था, 3 अगस्त साल 1991 को लहुराबीर क्षेत्र स्थित आवास के गेट पर ही दिनदहाड़े अवधेश राय पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर उनकी हत्या की गई थी।


 

अंसारी परिवार पर दर्ज हैं 97 केस

मुख्तार अंसारी समेत उसके परिवार पर 97 केस दर्ज हैं,मुख्तार अंसारी पर अकेले ही हत्या के 8 मुकदमे समेत 61 मामले दर्ज हैं, और भाई अफजाल अंसारी पर 7 मामले, भाई सिगबतुल्लाह अंसारी पर 3 केस, मुख्तार अंसारी की पत्नी अफसा अंसारी पर 11 मुकदमे, बेटे अब्बास अंसारी पर 8 तो छोटे बेटे उमर अंसारी पर 6 केस दर्ज हैं, और मुख्तार अंसारी की बहू निखत पर भी 1 मुकदमा दर्ज है।


अवधेश राय हत्‍याकांड में मुख्‍तार को हो चुकी है आजीवन कारावास की सजा

32 साल पुराने अवधेश राय हत्याकांड में 5 जून 2023 को कोर्ट ने मुख्तार समेत अन्य को दोषी करार दिया था। मुख्तार अंसारी को इस केस में आजीवन कारावास और 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था। 3 अगस्त 1991 को लहुराबीर क्षेत्र स्थित आवास के गेट पर ही दिनदहाड़े अवधेश राय पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर उनकी हत्या कर दी गई थी।