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मुख्तार और अतीक की मौत के साथ पूर्वांचल में खत्म हुआ माफियाओं का साम्राज्य!

 



न्यूज डेस्क: 90 के दशक में एक समय ऐसा था जब पूर्वांचल में बाहुबलियों और माफिया का आतंक था, क्यों की यह माफिया कानून को अपने हाथ की कठपुतली समझते थे, और भला क्यों न समझे क्यों की ये माफिया उन दिनों की सरकार के बेहद करीबी थे, पूर्वांचल में अतीक, अशरफ, और मुख्तार अंसारी, मुन्ना बजरंगी, का जो खौफ था, वो किसी से छुपा नही था, लेकिन इन माफियों के उल्टे दिन उन दिनों शुरू हुए जब प्रदेश में योगी सरकार आई और इन माफियाओं की पिछले एक साल के अंदर विवादास्पद परिस्थितियों में मौत हो गई है, जहां अतीक अहमद और अशरफ की पुलिस हिरासत में बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी,तो वहीं मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक के चलते मौत हो गई तो जेल में बंद मुन्ना बजरंगी की गैंगवार में मौत हो गई, वही मुख्तार अंसारी के परिवार वालो का आरोप था कि उन्हें जेल के अंदर 'जहर' देकर मारा गया है,लेकिन उसकी पोस्मार्टम रिपोर्ट आने के बाद यह स्पष्ट हो गया की उसकी हार्ट अटैक से मौत हुई थी, वही अब मुख्तार और अतीक की मौत के साथ पूर्वांचल में अब माफियाओं का दबदबा खत्म हो गया है।



राजनीति की आड़ में अपराध को बनाया अपना साम्राज्य!

मुख्तार और अतीक ने राजनीती की आड़ में दशकों तक पूर्वी उत्तर प्रदेश में अपनी जागीर चलाई, इन दोनों पर हाई-प्रोफाइल हत्याओं के आरोप हैं पूरा क्षेत्र उन्हें माफिया के रूप में जानता था, उन्होंने जमीन पर कब्जे करने सहित सुपारी लेकर हत्याएं कराना, अपहरण और जबरन वसूली जैसे कृत्यों को अंजाम दिया, वेब सीरीज 'मिर्जापुर' और फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' इन दोनों की कहानियों पर ही आधारित थीं,समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने पूर्वाचल में राजनीतिक फायदे के लिए अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी को पनाह दी थी यह क्षेत्र ऐसे माफिया और खूंखार अपराधियों के चलते खौफ में आ गया था मुख्तार अंसारी 1995 से 2022 तक लगातार पांच बार मऊ से विधायक रहा और बिना दोषी ठहराए लगभग 27 सालों तक अपनी विधानसभा सदस्यता बरकरार रखी।


सौ मुकदमा दर्ज होने के बाद भी बेखौफ घूमता था माफिया!

वही अतीक अहमद 2017 से पहले अपने खिलाफ 100 से ज्यादा आपराधिक मामले लंबित होने के बावजूद हमेशा जमानत पाने में कामयाब हो जाता था, पहला मामला 1979 में दर्ज किया गया था लेकिन यूपी में कोई भी सरकार उसे किसी भी मामले में दोषी नहीं ठहरा सकी क्योंकि या तो गवाह मुकर गए या वे गायब हो गए, यह योगी सरकार ही थी जिसने मुख्य गवाह उमेश पाल के अपहरण के मामले में मजबूत अभियोजन सुनिश्चित किया, जिसके कारण अतीक को पहली बार दोषी ठहराया गया और उसे आजीवन कारावास की सजा दी गई।




योगी सरकार आने के बाद खत्म हुआ माफियाओं का दबदबा!


दरअसल आपको बताते चले की पूर्वांचल में आतंक का साम्राज्य बना चुके माफिया मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद उस समय खतरे में आ गए जब प्रदेश में 2014 में योगी सरकार ने कमान संभाली और पूर्वांचल में भयमुक्त अभियान चला कर इन माफियाओं पर बुलडोजर की कार्यवाही की गई, वही मुख्तार की लगभग 5 सौ करोड़ की अवैध संपति जब्त की गई तो अतीक अहमद की पुलिस ने 1,400 करोड़ रुपए की संपत्ति को भी जब्त कर लगभग 50 शेल कंपनियों को सील कर दिया था।